सिविल सेवाएं अब ऊंचे ओहदेदारों के होनहार बच्चों तक सीमित नहीं रह गई हैं। त्याग, समर्पण, तपस्या और जूझने की ताकत के साथ साधारण परिवारों के बच्चों ने देश की सर्वोच्च सेवाओं में चयनित होकर मध्यम वर्ग, ग्रामीण पृष्ठभूमि, दिहाड़ी से परिवार चलाने वालों, किसानों और साधारण से साधारण परिवारों के लिए उम्मीद जगा दी है। इसी उम्मीद की एक किरण से आज हम आपको रूबरू करवाते हैं। मिलते हैं, युवा IAS Pradeep Singh से। प्रदीप को हाल ही बिहार काडर अलॉट हुआ है। प्रदीप केवल युवा IAS ही नहीं हैं, बल्कि Ex. IRS भी हैं। 2018 बैच में 1 नम्बर से आईएएस से चूके और देश में सबसे कम उम्र यानी मात्र 22 साल में IRS बने। लेकिन नियती, पिताजी का त्याग और प्रदीप की तपस्या को IRS मंजूर नहीं था। प्रदीप ने IAS का पीछा नहीं छोड़ा और अगले ही बैच यानी 2019 में 26वीं रैंक के साथ IAS बने।
पेट्रोल पंप पर साधारण सी नौकरी करने वाले सरल स्वभाव के पिताजी का यह होनहार बेटा थोड़ा लीक से हटकर ही चला है। उनके ट्विट्स से आप प्रदीप की मिजाजी का अंदाजा लगा सकते हैं –
तारीफ अपने आप की, करना फिजूल है
खुशबू खुद बता देती है, कौन सा फूल है
प्रदीप फिर कहते हैं –
जीवन की राहों पर, अक्सर ऐसा होता है
फैसला जो मुश्किल हो, वही बेहतर होता है
…लेकिन प्रदीप ही क्यों? प्रदीप के हिम्मकश पिताजी भी लीक से हटकर ही चले। प्रदीप को आईएएस की तैयारी करवाने और दिल्ली भेजने के लिए अपना घर बेच दिया। खुद किराए के घर में आ गए, लेकिन उफ तक नहीं की। मध्य प्रदेश के इंदौर से ताल्लुक रखने वाला प्रदीप का परिवार मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखता है। पिताजी 1992 में काम-धंधे के चक्कर में मध्य प्रदेश आ गए। पेट्रोल पंप पर नौकरी की, छोटा सा घर भी लिया। इसी घर को उस वक्त पिताजी ने बेच दिया जब प्रदीप की तैयारी के लिए पैसे का दबाव आया। घर बेचकर भी काम नहीं चला, तो तैयारी अधूरी न रह जाए, मां ने अपने गहने बेच दिए।
प्रदीप भी कम जिद्दी न था। माता-पिता के त्याग को दिल से लगाकर UPSC की तैयारी को निकला। लेकिन निकलने से पहले वायदा करके निकला कि UPSC क्लीयर करके ही वापस लौटूंगा। अब प्रदीप वापस अपनी जड़ों की ओर लौटे हैं। प्रदीप के पिता ने नौकरी-पेशा और कामयाबी के लिए अपना गांव छोड़ा था, अपना बिहार छोड़ा था, लेकिन होनहार बेटे ने बिहार वापसी IAS के साथ की है। प्रदीप कहते हैं, ‘अब मेरे परिवार का संघर्ष खत्म हो गया है। मैं कलेक्टर बनने के बाद जनता के बीच, जनता का बनकर ही काम करूंगा। जनता के दर्द, गरीबी में द्वंद और संघर्ष की सीमाएं अच्छे से जानता हूं। इसलिए उसी तर्ज पर जनहित के कार्यों को प्राथमिकता दूंगा।’
– प्रवीण जाखड़