उत्तर प्रदेश के एक आपराधिक कालखण्ड की सच्ची दास्तान है ‘वर्चस्व’। एन्काउंटर स्पेशलिस्ट पूर्व आईपीएस राजेश पाण्डेय (IPS Rajesh Pandey ) द्वारा लिखित इस पुस्तक का आज लखनऊ के अंतर्राष्ट्रीय बौध शोध संस्थान गोमती नगर में विमोचन किया गया।
पुस्तक में नब्बे के दशक में यूपी और बिहार में सबकी नींद उड़ा देने वाले अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके आतंक का जिक्र किया गया है। गोरखपुर में केबल के धंधे में पैर जमाने के लिए हफ्तेभर में दर्जनभर लोगों की हत्या करने वाले इस अपराधी को यूपी एसटीएफ ने ढेर किया था। सत्यकथा पर आधारित इस पुस्तक में आईपीएस राजेश पाण्डेय के अनुभव हैं। श्रीप्रकाश शुक्ला के उदय से अंत तक को पाण्डेय ने करीने से पिरोया है।
आईपीएस राजेश पाण्डेय (IPS Rajesh Pandey ) के मुताबिक, ‘नब्बे के दशक में जब राजनेताओं के दिन-दहाड़े सरेआम मर्डर होने लगे, तो जाहिर है कि नेताओं के मन में खौफ बैठना स्वाभाविक था। नई पीढ़ी के लोग, जो देश के लिए राजनीति के सहारे कुछ करने की चाहत रखते थे, उन्होंने खौफ में इस राह पर चलने के अपने इरादों पर लगाम लगा दी। यही वह समय था, जब बड़े-बड़े खूंख्वार अपराधियों के लिए राजनीति में प्रवेश के द्वार पर लोग खुशी-खुशी आने लगे। राजनीति में अपराधीकरण या अपराध में राजनीतिकरण की यह धमाकेदार शुरुआत थी। उसमें ग्लैमर था, धन – दौलत थी और आधुनिक हथियारों को निहारने का मजा और जलवा भी था। इन सियासी माफियाओं का काफिला जिधर से भी गुजरता सडक़ें अपने आप खाली हो जाया करती थीं।’
आईपीएस राजेश पाण्डेय बताते हैं, ‘अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला को किसी का भय नहीं था। आंखों में किसी तरह की मुरौवत नहीं थी। वह ऐसा बेदर्द इंसान था जिसने धंधा जमाने के लिए हत्या पर हत्या कर डाली। गाजियाबाद में एसटीएफ ने शुक्ला का एन्काउंटर किया था। इसी एन्काउंटर के इर्द-गिर्द इस पुस्तक की स्क्रिप्ट घूमती है। कुल मिलाकर इस एन्काउंटर के दौरान हुई मुठभेड़ की पूरी दास्तान बयान की गई है।’
कौन हैं पूर्व IPS Rajesh Pandey ?
उत्तर प्रदेश काडर के तेज-तर्रार, जुझारू और एन्काउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर आईपीएस राजेश पाण्डेय की खास पहचान रही है। बरेली रेंज आईजी से मई 2022 में सेवानिवृत्त हुए आईपीएस राजेश पाण्डेय सेवानिवृत्ति के बाद उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के नोडर अधिकारी बने। 1998 में सेवाओं के दौरान जब उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध से निपटने के लिए यूपी एसटीएफ का गठन किया गया और 2009 में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए आतंकवाद विरोधी दस्ते (एसटीएफ) की स्थापना की गई, तो आईपीएस राजेश पाण्डेय इनके संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने श्रीप्रकाश शुक्ला ऑपरेशन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को लीड किया था और उन्हें पुलिस के लिए पहली निगरानी युनिट स्थापित करने का श्रेय भी जाता है।
एन्काउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर उनकी मजबूत पहचान इसलिए भी रही है क्योंकि वह यूपी में 70 पुलिस मुठभेड़ों का हिस्सा रहे। हमेंशा जिंदगी रिस्क पर लेकर चलते। न घबराते, न डरते। उन्हें ऑपरेशन बाजूका के लिए और फैजाबाद और वाराणासी आतंकी हमलों की सफलतापूर्वक पूछताछ के लिए चार बार 1999, 2000, 2007 और 2016 में वीरता के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। उनकी काबलियत का अंदाज इससे भी लगा सकते हैं कि पाण्डेय को 2008 में कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन में जाने और शांति स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र पदक जीतने का भी अवसर मिला।
वर्चस्व पुस्तक से पहले आईपीएस राजेश पाण्डेय की पुस्तक OPERATION BAZOOKA रिलीज हो चुकी है। OPERATION BAZOOKA को यहां क्लिक करके अमेजन से ऑर्डर भी कर सकते हैं।