जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की अलंकार आर्ट गैलरी में शहर की जानी-मानी आर्टिस्ट और वॉटर कलर के जरिए रंगों में जान फूंकने वाली डॉ. सुषमा महाजन की सोलो पेंटिंग एग्जीबिशन आयोजित होने जा रही है। 12 जनवरी से (12-14 Jan) शुरू होने जा रही इस तीन दिवसीय सोलो पेंटिंग एग्जीबिशन ‘वाइब्रेंट ह्यूज’ में डॉ. सुषमा की 50 पेंटिंग्स डिस्प्ले की जाएंगी, जिन्हें पिछले दो सालों में उन्होंने तैयार किया है।
डॉ. सुषमा महाजन वॉटर कलर पेंटिंग्स की दुनिया में जाना-पहचाना हस्ताक्षर हैं। उनके रंगों निकले भाव, प्रकृति की खूबसूरती से सराबोर पेंटिंग्स और भारतीय कला, संस्कृति का संगम देखन को मिलता है। वेनिस की खूबसूरत इमारते, गलियां और खास रंगों की दुनिया भी डॉ. सुषमा की पेंटिंग्स का खास हिस्सा हैं। जवाहर कला केन्द्र में आयोजित होने जा हरी इस सोलो पेंटिंग एग्जीबिशन को लेकिन डॉ. सुषमा महाजन कहती हैं, जिन 50 पेंटिंग्स को इस एग्जीबिशन में शामिल किया जा रहा है उनमें विषयों की विविधता देखने को मिलेगी। जिनमें विंटेज कार, नेचर, एनीमल्स, आर्किटेक्चर सरीखे विषयों को कनेक्ट किया गया है।
जवाहर कला केन्द्र में अब डॉ. सुषमा महाजन अपनी सातवीं प्रदर्शन आयोजित कर रही हैं, जिसे उन्होंने ‘वाइब्रेंट ह्यूज’ शीर्षक दिया है। इसमें जीवन के उत्साहपूर्ण भावों को समाहित किया गया है। डॉ. सुषमा कहती हैं, ‘प्रकृति मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है। मेरा मानना है कि कला किसी व्यक्ति के अंतर्मन का प्रतिबिंब होती है और जब मैं एक चित्र बनाती हूं तो लगता है अपने जीवन को एक बड़ा और नया आयाम दे रही हूं, इसे और अधिक अर्थपूर्ण बना रही हूं।’
कौन हैं आर्टिस्ट डॉ. सुषमा महाजन
उत्तर भारत के चर्चित भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में रेडियोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. सुषमा महाजन अपने कामकाजी जीवन में भरपूर सफलता के बाद रंगों से जुड़ीं। हर रोज दो घंटे रंगो के साथ जीते-जीते बहुत ही कम समय में डॉ. सुषमा राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय एग्जीबिशंस में प्रदर्शन के स्तर की पेंटिंग्स बनाने लगीं। उन्होंने पिछले दो वर्षों में क्यूरेटर डॉ. अलका पाण्डे के साथ नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में दो सोलो एग्जीबिशन भी आयोजित की हैं। उनकी एग्जीबिशंस में लोकसभा सांसद नवीन जिंदल, लाइफस्टाइल डिजाइन राघवेन्द्र राठौड़, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक सिंघवी, आर्किटेक्ट ए. मृदुल जैसी शक्सियतें भी शिरकत कर चुकी हैं। डॉ. सुषमा मानती हैं कि, ‘जीवन में जुनून हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती।’ यही वजह है कि एक कठिन पेशेवर करियर के बावजूद डॉ. सुषमा अपनी रचनात्मकता और रंगों की जीवंतता कायम करने वाली मंझी हुई आर्टिस्ट के तौर पर उभरी हैं।