नई दिल्ली ब्यूरो। राजस्थान काडर की वरिष्ठ आईपीएस और 1989 बैच की अधिकारी नीना सिंह (IPS Nina Singh) केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की महानिदेशक के तौर पर सेवाएं देंगी। कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार आईपीएस नीना सिंह 31 जुलाई 2024 तक यानी सेवानिवृत्त होने तक इस पद पर रहेंगी। अब तक नीना सिंह सीआईएसएफ के महानिदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर कामकाज संभाल रही थीं। 31 अगस्त 2023 को आईपीएस शीलवर्धन सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद सीआईएसएफ की महानिदेशक का अतिरिक्त कार्यभार नीना सिंह को सौंपा गया था।
आईपीएस नीना सिंह (IPS Nina Singh) बिहार की बेटी हैं और इस पद पर पहुंचने वाली देश की पहली महिला अधिकारी हैं। गौरतलब है कि नीना सिंह 1989 बैच में मणिपुर काडर में आईपीएस बनीं थीं, लेकिन उनका विवाह राजस्थान काडर के आईएएस रोहित कुमार सिंह से होने के बाद नीना सिंह ने काडर बदल कर राजस्थान करवा लिया था।
IPS Nina Singh के साथ जुड़ा संयोग
आईपीएस नीना सिंह (IPS Nina Singh) राजस्थान काडर में बतौर आईपीएस पहली महिला शामिल हुई थीं। सीबीआई और नीरव मोदी केस पर काम करने वाली प्रतिभाशाली आईपीएस के तौर पर उन्होंने मजबूत पहचान कायम की। 2013-18 तक आईपीएस नीना सिंह (IPS Nina Singh) ने सीबीआई में बतौर संयुक्त निदेशक सेवाएं दी और कई बड़े मामलों की इन्वेस्टिगेशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीबीआई में रहते उन्होंने नीरव मोदी के पीएनबी घोटाले की इनवेस्टिगेशन के साथ भ्रष्टाचार, ब्रैंकिंग फ्रॉड और इकोनॉमिक ऑफेंस से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण और हाई प्रोफाइल मामलों में अहम भूमिका निभाई है।
बिहार से मणिपुर, मणिपुर से राजस्थान
मूलत: बिहार की रहने वाली आईपीएस नीना सिंह (IPS Nina Singh) ने पटना महिला कॉलेज से स्नातक और जेएनयू दिल्ली से स्नात्कोत्तर की पढ़ाई की है। उन्हें हावर्ड से भी उच्च शिक्षा लेने का अवसर मिला है। सिविल सेवाओं में आने के बाद उन्होंने अपने बैचमेट रोहित कुमार सिंह से शादी की जिसके बाद मणिपुर से काडर बदल कर हमेशा के लिए राजस्थान आ गई और राजस्थान को अपनी कर्मस्थली बना लिया। नीना सिंह राजस्थान राज्य महिला आयोग की सदस्य सचिव रहने के अलावा कोविड काल में प्रमुख शासन सचिव (स्वास्थ्य) की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं।
आईपीएस नीना सिंह को पढऩे-लिखने का बेहद शौक है। कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने लेखन को साथ रखा। आईपीएस नीना सिंह अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के साथ रिसर्च पेपर में सह-लेखक भी रह चुकी हैं।