महाराष्ट्र में आज ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को मंजूरी दे दी गई है। राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महाराष्ट्र केबिनेट ने आज मंजूरी देते हुए पेंशन स्कीम को लेकर सभी सवालों का जवाब दे दिया है और साफ कर दिया है कि 2005 के बाद नौकरी पाने वालों को ओपीएस का लाभ मिलेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) लागू करवाने वाले राज्यों में राजस्थान सबसे अव्वल रहा है। गत कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत केबिनेट ने ओल्ड पेंशन स्कीम को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद हाल ही हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी ओल्ड पेंशन का लाभ राज्य सरकार के कर्मचारियों को देने का फैसला किया था।
देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बहस के बीच महाराष्ट्र केबिनेट का यह फैसला उन सभी राज्य कर्मचारियों के लिए तो उत्साहवर्धक है जो महाराष्ट्र प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन दूसरे प्रदेशों के लिए भी उम्मीद जगाने वाला है, जहां अब भी ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) लागू करने के लिए लगातार सरकारों पर दबाव बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कु समय पहले नरेन्द्र मोदी सरकार ने चुनिंदा केन्द्रीय कर्मचारियों को ही ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने का फैसला किया था और नीति आयोग की ओर से राज्य सरकारों को ओल्ड पेंशन स्कीम लागू नहीं करने के लिए कहा गया था। केन्द्र सरकार का इस मसले पर रुख साफ है कि 22 दिसंबर 2003 से पूर्व निकली भर्तियों के जरिए सरकारी नौकरी में शामिल हुए कर्मचारियों को ही ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देय होगा। केन्द्र सरकार के अनुसार 22 दिसंबर 2003 के बाद निकाली गई सभी भतिर्यों में शामिल कर्मचारियों पर नेशनल पेंशन स्कीम लागू होगी। साथ ही अगर कोई कर्मचारी नई पेंशन योजना से पुनानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प चुन लेते हैं, तो उसे उनका अंतिम विकल्प मान लिया जाएगा।
पांच राज्यों ने लागू की Old Pension Scheme
केन्द्रीय कर्मचारियों की ओर से भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग लगातार उठती रही है। इसी बीच 5 राज्यों जिनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने ओपीएस लागू करने का फैसला किया था और अब इनमें छठा राज्य महाराष्ट्र भी शामिल हो गया है।
एक के बाद एक राज्यों में लागू हो रही OPS
राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने 2023-24 के बजट में सेवारत और रिटायर कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन योजना के लाभ देने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद कर्मचारियों ने गहलोत के फैसले को जमकर सराहा था। इसी तरह छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में केबिनेट ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला किया था। झारखण्ड सरकार भी पीछे नहीं रहीऔर 1 सितम्बर 2022 को केबिनेट ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मंजूरी दे दी। यहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार के चुनावी वायदों में ओपीएस लागू करने की बात कही थी, जिसे सरकार बनने के बाद पूरा किया। पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में आते ही भगवंत मान केबिनेट ने पुरानी पेंशन लागू कर दी, जिसका सीधा लाभ पंजाब सरकार के एक लाख 75 हजार कर्मचारियों को मिला। इधर हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनने के बाद चुनावी घोषणापत्र में किए वायदे की पालना में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की गई।
क्यों उठ रही है OPS लागू करने की मांग?
ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) के तहत सरकार 2004 से पूर्व के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित पेंशन देती रही है। यह पेंशन लगभग सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी की तनख्वा के आधे हिस्से के बराबर बैठती है। जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारी की वृद्धावस्था की बराबर व्यवस्था, परिवार का पालन पोषण हो जाता है और कर्मचारी संतुष्ट भी रहता है। इस पुरानी पेंशन योजना में रिटायर हुए कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके आश्रितों को भी पेंशन लाभ मिलते थे। लेकिन 1 अप्रेल 2004 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) बंद करने का फैसला किया और देश में राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) की शुरुआत की गई। इस नई पेंशन योजना से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हुए, क्योंकि कमर्चारियों को पुरान पेंशन स्कीम की तुलना में नई पेंशन योजना के लाभ बहुत कम मिल रहे हैं। जिससे कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद भरण-पोषण और वृद्धावस्था में उचित पेंशन न मिलने की असंतुष्टि सामने आई। जिसके बाद देशभर में कर्मचारी इस फैसले के विरोध में आ गए। फिलहाल देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए आंदोलन हो रहे हैं। कर्मचारियों की नाराजगी और न्यू पेंशन स्कीम की कमियों को देखते हुए अब तक महाराष्ट्र समेत कुल छह राज्य हो गए हैं, जिन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है।