पेपर लीक का जिन्न विधानसभा चुनाव होते ही बाहर आ गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) ने पेपर लीक मामले में सख्त सजा दिलवाने का भरोसा एसआईटी (SIT) के गठन से जताया है। लेकिन इस एसआईटी के गठन का सीधा मैसेज है कि कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री पेपर लीक मामले में जेल जा सकते हैं।
कांग्रेस नेताओं पर एसआईटी के जरिए बड़ी कार्रवाई का लिंक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बयानों से जुड़ा है। गहलोत सरकार के दौरान विधानसभा में जब पेपर लीक का मामला उठा था, तब विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था। उस वक्त भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजस्थान में भाजपा सरकार बनने पर पेपर लीक की जांच सीबीआई से करवाने की बात मजबूती से कही थी। इन नेताओं का दावा था कि पेपर लीक में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से लेकर मंत्री तक शामिल हैं। लेकिन अब सीबीआई के वायदे को किनारे करते हुए राजस्थान सरकार ने एसआईटी गठित की है।
गहलोत सरकार के दौरान राजस्थान में 17 पेपर लीक हुए थे, जिसका खामियाजा युवाओं को उठाना पड़ा था। गहलोत ने उस वक्त नकल रोकने के लिए कानून बनाने का भरोसा दिलाया था। सीबीआई जांच की मांग उठी थी, तो गहलोत ने कहा था कि ऐसा करने पर रीट के करीब 40 हजार पदों की भर्ती अटक जाएगी और युवाओं को नुकसान होगा। बहरहाल एसआईटी के गठन से मुख्यमंत्री भजनलाल ने शतीश पूनिया, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और गजेन्द्र सिंह का सीबीआई जांच का भरोसा भी साइडलाइन कर दिया है और सीबीआई की बजाय अपनी एसआईटी पर भरोसा जताया है।
अब देखना यह होगा कि पेपर लीक मामले में राजस्थान एसओजी पहले ही काफी काम कर चुकी है, तो एसआईटी उससे हटकर कितना परफॉर्म कर पाती है? दूसरा जिस तर्ज पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने विधानसभा में हंगामा करते हुए कांग्रेस के नेता-मंत्रियों को निशाना बनाया था, क्या अब वक्त आ गया है जब कांग्रेस के नेता-पूर्व मंत्री जेल जाएंगे?
कांग्रेस राज में पेपर लीक काण्ड की कार्रवाई में आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा (Babulal Katara) को जेल की हवा खानी पड़ी थी। बाबूलाल कटारा से हुई पूछताछ को आधार बनाकर ही कोचिंग संचालकों और नेताओं पर ईडी पीछे पड़ गई थी। कांग्रेस नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर ईडी की छापेमारी समेत कांग्रेस विधायक ओम प्रकाश हुडला को भी जांच के दायरे में लिया गया था। तब भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और राज्यमंत्री सुभाष गर्ग पर भी गंभीर आरोप लगाए थे, जिन्हें दोनों ही नेताओं ने खारिज कर दिया था। इधर ईडी की चुनावों के पहले पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के यहां छापेमारी में भी ईडी को खाली हाथ लौटना पड़ा था।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव सामने हैं। भाजपा एक्शन मोड में रहने वाली है। लेकिन क्या लोकसभा चुनावों से पहले एसआईटी कोई ऐसा एक्शन लेने में कामयाब होगी, जिसका दावा विधानसभा में भाजपा नेताओं ने किया था। इस बात में कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस के नेता-पूर्व मंत्री जेल जाते हैं, तो भाजपा इस पेपर लीक मुद्दे को लोकसभा में भुनाकर युवाओं को अपनी ओर करने में कामयाब होगी।
राजस्थान की भाजपा सरकार पेपर लीक रोकने और पेपर लीक पर कार्रवाई करने में कितनी सफल होगी यह समय बताएगा, लेकिन झारखण्ड पेपर लीक मामले में सख्य कदम उठाने में सफल रहा है। झारखण्ड में पेपर लीक और नकल के संबंध में सख्त कानून (झारखण्ड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम, 2023) लाने का रास्ता साफ हो गया है। यहां राज्यपाल ने विधानसभा से पारित विधेयक को मंजूरी भी दे दी है। ऐसे में राज्य सरकार की अधिसूचना जारी होते ही यह कानून का रूप ले लेगा। इसके अनुसार पेपर लीक करने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा, 10 करोड़ का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इस कानून में नकल करते हुए कोई पाया जाता है, तो उस अभ्यर्थी को एक वर्ष की जेल और पांच लाख रुपए जुर्माना लगाने का प्रावधान है।