जयपुर। राजस्थान सरकार में महत्त्वपूर्ण पदों पर अनुभव लेने के बाद वरिष्ठ आईएएस वीनू गुप्ता ( IAS Veenu Gupta ) ने वीआरएस लेकर अब बतौर चेयरमेन राजस्थान रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी ( Chairman Rajasthan Real Estate Regulatory Authority ) जॉइन कर लिया है। सरकार ने उनकी सेवाओं, अनुभव और मजबूत कार्यशैली को देखते हुए पिछले दिनों रेरा चेयरमेन के तौर पर उनकी नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए थे। जिसके चलते अब मंगलवार को पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता ने रेरा चेयरमेन का पदभार ग्रहण कर लिया है।
अप्रेल 2023 से खाली रेरा चेयरमेन पद पर पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता की नियुक्ति के बाद इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि क्या वीनू गुप्ता बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स के बेखौफ और बेलगाम एक्शंस पर नियंत्रण करने में कामयाब होंगी? इन्हीं चर्चाओं की जानकारी जब हम तक पहुंची, तो हमने उन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को टटोला जो रियल एस्टेट में ग्राहकों और कामगारों के लिए तो समस्या बने हुए हैं, लेकिन बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स उनकी आड़ लेकर मौज उड़ा रहे हैं।
इस सारी पड़ताल में सामने आया कि मूल रूप से चेयरमेन के तौर पर पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता को इन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है –
- बिल्डर्स तय समय पर प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं कर पा रहे हैं। गलत कागजात और रेरा के नियमों में शिथिलथा का फायदा उठाकर ग्राहकों को धोखे में रख रहे हैं। एक ओर बुकिंग के बाद सालों तक लोंगों को फ्लैट, विला डिलीवर नहीं कर पा रहे हैं, वहीं रेरा की सख्ती नहीं होने की वजह से ग्राहक बिल्डर्स के चक्कर लगा-लगा कर परेशान हैं। जयपुर सहित पूरे राजस्थान में दर्जनों मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट्स अधूरे हैं। न तो रेरा नियमों के तहत उनको सीज कर रहा है न ही बिल्डर्स उनको पूरा कर रहे हैं। एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन लेकर ग्राहकों को धोखे में रखा जा रहा है। जिससे फ्लैट के पजेशन का इंतजार करते हजारों पीड़ित न्याय को तरस रहे हैं। बिल्डर्स के ऑफिस में चक्कर लगा रहे हैं। आत्महत्या की धमकी तक दे रहे हैं, जिसके वीडियो हमें भी मिले हैं, लेकिन फिर भी बिल्डर्स पजेशन नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में रेरा बिल्डर्स पर कितना नियंत्रण कर पाएगा? यह बड़ा सवाल है। ग्राहकों की सुनवाई न बिल्डर्स के यहां हो रही है, न ही रेरा में हो पा रही है। ऐसे में रेरा के प्रति आम जनता में रोष तो पनप ही रहा है, रेरा की छवि को की अपने कृत्यों से बिल्डर धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
बिल्डर्स के खौफ और प्रभाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पूर्व रेरा चेयरमेन एवं सेवानिवृत्त मुख्य सचिव का खुद के फ्लैट का पजेशन एआजी बिल्डर ने नहीं दिया था। रेरा चेयरमेन खुद बेबस थे, जिसके बाद मुद्दा मीडिया में भी उछला था।
2. राजधानी जयपुर को ही लें, तो समय-समय पर विभिन्न मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट्स में पजेशन के बाद भी तय सुविधाओं को मुहैया करवाने में बिल्डर्स नाकाम हो रहे हैं। जिनके लिए जनआक्रोश भी फूटता रहा है। आज भी हर महीने पांच से सात मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट्स में विरोध प्रदर्शन होते हैं जिनका सबका निचोड़ होता है कि बिल्डर्स ने जिन वायदों के साथ प्रोजेक्ट बेचा वह पजेशन के बाद भी पूरे नहीं किए गए हैं, जबकि पैसा पूरा लिया गया है। इसमें क्लब हाउस, कॉलोनी का मेंटीनेंस, सड़कें, सीवरेज, लाइट, पानी जैसी बेसिक सुविधाएं पैसा देने के बाद भी नहीं मिल पा रही हैं। लेकिन इन शिकायतों के निवारण के लिए रेरा की ओर कोर्ट तो खुला है जहां निपटारे में सालों लग जाते हैं, पर कोई सिंगल विंडो सॉल्यूशन पैटर्न नहीं है। जिसे वीनू गुप्ता बनाने में कामयाब रहीं, तो यह देशभर में नजीर बन सकता है।
- बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स सीवरेज निस्तारण को लेकर बड़े स्तर पर कोताही बरत रहे हैं। 80 फीसदी से ज्यादा प्रोजेक्ट्स में सीवरेज का पानी नियमों की अव्हेलना करते हुए कैंपस के बाहर खाली पड़े प्लॉट्स में बहाया जा रहा है या फिर ट्रैक्टर के टैंकर भरकर कैंपस के बाहर फिंकवाया जा रहा है, जो न केवल गंभीर रोग फैलाने में कारगर है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिलने वाली एनओसी और बिल्डिंग बायलॉज में भी ऐसा करने की अनुमति नहीं देता। दूसरी ओर सीवरेज के गंदे पानी को बाहर फिंकवाने में स्थानीय निवासियों पर हर महीने लाखों रुपए का मेंटीनेस का भार पड़ रहा है, जिसमें रहवासियों की कोई गलती भी नहीं है। बल्कि बिल्डर्स की सेवा में दोष का मामला बनता है, लेकिन इस विकराल समस्या का कोई समाधान आज तक रेरा या सक्षम अथॉरिटी निकालने में कामयाब नहीं हो पाई हैं।
- ज्यादातर बिल्डर्स की खुद की मेंटीनेंस कंपनियां हैं। जिसके चलते मनमाने मेंटीनेस शुल्क जनता से वसूले जा रहे हैं। मेंटीनेंस शुल्क वसूलने का कोई स्टैडर्ड फॉर्मूला तय नहीं होने की वजह से लोग बिल्डर की मनमानी का बड़े पैमाने पर शिकार हो रहे हैं। इसके लिए आए दिन मल्टीस्टोरीज में बिल्डर्स और रहवासियों के बीच तनाव, बहसबाजियां और लड़ाईयां देखी जा रही हैं। इसका समाधान भी कोई मानक बनाकर ही निकाला जा सकता है।
- जयपुर विकास प्राधिकरण से नक्शे अनुमोदित करवाने के बाद लेकिन रेरा से रजिस्टर्ड होने से पहले लगभग सभी कॉलोनाइजर्स नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रॉपर्टी बेचना शुरू कर देते हैं और नक्शों की प्रतियां बाजार में आ जाती हैं। जबकि ऐसा करने पर प्रोजेक्ट की 5 फीसदी पैनल्टी का प्रावधान भी है, लेकिन आज तक रेरा किसी भी कॉलोनाइजर पर सख्ती दिखाने में कामयाब नहीं हो पाया है। जिसका फायदा कॉलोनाइजर्स बेखौफ उठा रहे हैं।
- राजस्थान में करीब 9000 रियल एस्टेट एजेंट्स हैं। इन्हें रियल एस्टेट बनाने के लिए रेरा 10,000 रुपए फीस, KYC के लिए डॉक्यूमेंट्स भी लेता है, लेकिन केवल मात्र कागजी लाइसेंस देने के अलावा कोई व्यापारिक सुरक्षा का भरोसा नहीं दे पाता। जिससे हजारों रेरा एजेंट्स के करोड़ों रुपए की ब्रोकरेज बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स हजम कर जाते हैं। ऐसे पीड़ित एजेंट्स की सुनवाई और समाधान के लिए कोई सिंगल विंडो सिस्टम अभी तक रेरा विकसित नहीं कर पाया है।
जबकि अन्य उद्योगों में इस प्रकार की लाइसेंसिंग में एजेंट्स के कमीशन और अधिकारों की रक्षा की गारंटी अथॉरिटीज लेती हैं। उदाहरण लें तो IRDA द्वारा बीमा एजेंट्स को लाइसेंस देने के बाद कमीशन के संबंध में कोई शिकायत हो, तो आईआरडीए सख्ती से पेश आता है और बीमा कंपनियों पर कार्रवाई के अलावा जुर्माना भी लगाता है।
अपने गठन से लेकर अब तक रेरा एक असंगठित रियल एस्टेट मार्केट को संगठित करने में कुछ हद तक कामयाब हुआ है, लेकिन अब भी बहुत से कामकाज ऐसे हैं जो रियल एस्टेट को पटरी पर लाने, बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स के अनैतिक दबाव को कम करने और जनता को राहत देने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। देखना यह होगा कि अपनी प्रशासनिक दक्षता, प्रबंध कौशल और अनुभव के साथ चेयरमेन वीनू गुप्ता कितनी सफल होती हैं? दूसरी ओर सेवानिवृत्त आईएएस वीनू गुप्ता की बतौर ब्यूरोक्रेट सफर देखें, तो वह बेहद सफल और कारगर ब्यूरोक्रेट रही हैं। उनके काम की सराहना राजस्थान काडर में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य काडर्स में भी होती रही है।
रियल एस्टेट के इस बड़े समुद्र में गोताखोर की दक्षता और हूनर ही कामयाबी दिला सकती है, अन्यथा बिल्डर्स और कॉलोनाइजर्स रेरा चेयरमेन को भी काम नहीं करने देंगे। एक ऐसा आवरण उनके इर्द-गिर्द क्रिएट कर देंगे, जिसमें सरकारी नियमों की आड़ में बिल्डर्स खुद करोड़ों कमाएंगे, लेकिन न्याय के मामले में ग्राहक हाथ पर हाथ धरा बैठे रह जाएगा।
फिलहाल एक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए बेहद मेहनती, प्रतिभाशाली, सक्षम और अनुभवी वीनू गुप्ता जी को रेरा में चेयरमेन बनने के लिए ऑफिसर्स टाइम्स की पूरी टीम की ओर से भरपूर शुभकामनाएं।
– प्रवीण जाखड़, सम्पादक