भारतीय पुलिस सेवा के 2009 बैच के अधिकारी पंकज चौधरी जाना-माना नाम है। अपनी ईमानदारी, खुद्दारी और न्याय के लिए सरकार से भी लड़-भिड़ जाना उनकी मजबूती है। कागजों के पक्के हैं। धुन के धनी। बेहतरीन क्रिकेटर हैं, तो उम्दा पुलिस अधिकारी। न्याय अगर मिलना चाहिए और मसला न्याय संगत है, तो पंकज चौधरी किसी से नहीं घबराते।
2013 में गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलकर देशभर में चर्चित हुए आईपीएस पंकज चौधरी, फिलहाल राजस्थान में कम्युनिटी पुलिसिंग की कमान संभाले हुए हैं। उनके नेतृत्व में राजस्थान की एसडीआरएफ की कायापटलट हुई, जो जगजाहिर है। सरकारों से टकराव इस हद तक हुआ की उन्हें राजनीतिक षडय़ंत्र का शिकार बना कर 2019 में आईपीएस से बर्खास्त किया गया, लेकिन घबराए और टूटे नहीं, बल्कि शेर की तरह सामना किया और मात्र दो साल की कानूनी लड़ाई जीत कर अपने स्वाभीमान की रक्षा की। पुलिस में वापस लौटे। राजस्थान के कई बड़े नेता और भ्रष्टाचारी आईपीएस पंकज चौधरी से खौफ खाते हैं। उन्होंने खाकी और खादी दोनों में खुद को अजमाया है। अनुभव लिया है।
फिलहाल अपने जीवन के कठिन सफर और संघर्षों पर पुस्तक लेखन भी कर रहे हैं। एक फिल्मी कहानी की तरह आईपीएस पंकज चौधरी का जीवन चलता नजर आता है। लेकिन उनका तटस्थ होना बदस्तूर कायम है। संघर्षों के सिपाही, खाकी के कप्तान और आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के जीवन के उतार-चढ़ाव, आईपीएस और खादी के अनुभव, संकट का दौर और सफलता का सफर सभी मसलों पर हमारी खुलकर बातचीत हुई। बातचीत के चुनिंदा अंश…