नई दिल्ली ब्यूरो। केन्द्र सरकार ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की है। लोकसभा चुनाव सामने हैं, ऐसे में नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और उनके बारे में जानने-समझने की दिलचस्पी बढ़ रही है। इन नई जिम्मेदारियों के तौर पर पूर्व आईएएस ग्यानेश कुमार और सुखबीर संधू को कार्यभार संभलाया गया है।
कौन हैं सुखबीर सिंह संधू?
सुखबीर सिंह संधू 1963 में जन्मे, 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने उत्तराखंड में मुख्य सचिव का पद संभाला था और पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। वह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। अपने योगदान के लिए सराहे गए, संधू को पंजाब के लुधियाना में नगर निगम आयुक्त के रूप में उनकी भूमिका के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। भारत की जनगणना के दौरान उनके प्रयासों के लिए उन्हें 2001 में राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार ?
ज्ञानेश कुमार, 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, जो केरल कैडर से संबंधित हैं। उन्होंने इसी साल 31 जनवरी को सहकारिता सचिव के रूप में अपनी सेवा समाप्त की। इससे पहले, कुमार ने केंद्र सरकार में संसदीय कार्य सचिव और 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के दौरान गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जैसे पदों पर कार्य किया है। ज्ञानेश कुमार ने सहारा समूह की चार बहु-राज्य सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं को अपना दावा प्रस्तुत करने की सुविधा प्रदान करने के लिए सीआरसीएस-सहारा रिफंड पोर्टल के समय पर शुरूआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गौरतलब है कि कुमार ने इससे पहले 2007 से 2012 तक यूपीए शासनकाल के दौरान रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव (रक्षा उत्पादन) के रूप में भी कार्य किया था।
भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) के चयन की प्रक्रिया हाल ही में लागू हुए एक नए कानून के तहत संचालित होती है। इसे सरल हिंदी में समझने के लिए, आइए इसे चरण दर चरण देखें –
- उम्मीदवारों का चयन : सबसे पहले, कानून मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है। ये उम्मीदवार आमतौर पर सेवानिवृत्त मुख्य सचिव, चुनाव आयुक्त या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जैसे पदों से होते हैं।
- चयन समिति : इसके बाद, उम्मीदवारों की सूची प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के पास भेजी जाती है। इस समिति में अन्य दो सदस्य लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता होते हैं।
- सिफारिश : चयन समिति कानून मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत सूची से या उससे इतर किसी अन्य व्यक्ति के नाम की सिफारिश कर सकती है। समिति चयन प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों के अनुभव, योग्यता और निष्पक्षता जैसे कारकों पर विचार करती है।
- राष्ट्रपति की मंजूरी : चयन समिति की सिफारिश के बाद, अंतिम निर्णय राष्ट्रपति के पास जाता है। राष्ट्रपति समिति द्वारा सुझाए गए नाम को मंजूरी दे सकते हैं या खारिज कर सकते हैं।
- नियुक्ति : राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, चुने गए व्यक्ति को मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त के रूप में आधिकारिक रूप से नियुक्त किया जाता है।
नया बदलाव : यह प्रक्रिया पहले से भिन्न है, जहां मुख्य न्यायाधीश सीईसी और ईसी के चयन में शामिल होते थे। नए कानून के तहत, प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
ध्यान दें : मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान वेतन और अन्य लाभ प्राप्त होते हैं। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक होता है।